करीब तीन साल की शांति के बाद कोरोना वायरस के दो नए वेरिएंट एनबी.1.8.1 और एलएफ .7 का पता चला है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित 20 राज्यों में कोरोना वापस लौट आया है। इसके सम्पर्क में आने से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लोगों को मास्क लगाने, साफ-सफाई पर ध्यान देने और खांसी, बुखार, सांस लेने में समस्या, थकान, गले में परेशानी सम्बंधित लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराने की सलाह दी गई है। ऐसे में आम जनमानस के मस्तिष्क में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अचानक क्यों कोरोना के मामले बढ़ने लगे? क्या कोरोना वैक्सीन और बूस्टर डोज का असर खत्म हो गया है? क्या फिर से कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की है जरूरत?
देश में एक ओर जहां बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज गूंजने लगी है, वहीं करीब तीन साल की शांति के बाद कोरोना वायरस के दो नए वेरिएंट एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 का पता चला है। राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित 20 राज्यों में कोरोना वापस लौट आया है। इन सभी राज्यों में अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। आईसीयू बेड, आॅक्सीजन सप्लाई और अन्य जरूरी उपकरणों के साथ अस्पतालों को अपनी ओर से पूरी तैयारी रखने का निर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए हैं। यही नहीं लोगों को मास्क लगाने, साफ-सफाई पर ध्यान देने और खांसी, बुखार, सांस लेने में समस्या, थकान, गले में परेशानी संबंधित लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराने की सलाह भी दी गई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कोरोना के मामले अचानक क्यों बढ़ने लगे? क्या कोरोना वैक्सीन और बूस्टर डोज का असर खत्म हो गया है? क्या फिर से कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की है जरूरत? क्या देश में फिर लाॅकडाउन लगेगा? ऐसे तमाम सवाल आम जनमानस के मस्तिष्क में घूम रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
कोरोना के नए वेरिएंट एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए अभी न तो कोरोना वैक्सीन और न ही बूस्टर डोज की जरूरत है। कोरोना वैक्सीन जीवनभर वायरस से इम्यूनिटी का दावा नहीं करती है। कुछ सालों में इसका असर कम होने लगता है। शरीर में बनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को दोबारा मजबूत करने के लिए बूस्टर डोज लगवाना बहुत जरूरी है। जिससे आपका शरीर कोरोना से लड़ने के लिए तैयार रहे और आपको बीमारी के खिलाफ बेहतर सुरक्षा मिल सके। भारत में जो वैक्सीन और बूस्टर डोज लग चुकी हैं वो इस वेरिएंट से लड़ने के लिए काफी उपयोगी साबित होंगी। विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीनेटेड लोगों को भी ये वेरिएंट हल्के रूप से संक्रमित कर सकता है क्योंकि पिछली वैक्सीनेशन से मिली इम्यूनिटी समय के साथ कम हो रही है।
दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. सुरनजीत चटर्जी की मानें तो फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। ज्यादातर छिटपुट मामले हैं जो दुर्लभ भी हैं। यहां तक कि मौजूदा मामलों का भी बहुत आसानी से मैनेजमेंट किया जा रहा है। नए कोविड मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही है। यही हम उम्मीद कर रहे थे। नए कोविड मामले सीजनल फ्लू की तरह हैं जिनका इलाज बहुत आसानी से किया जा सकता है। स्थिति घबराने वाली नहीं है। हमने कोविड के किसी भी नए मामले में यह नहीं देखा कि मरीज को अस्पताल में या आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी हो इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डाॅ. नीरज निश्चल का कहना है कि कोरोना के ज्यादातर मामले जेएन.1 के सामने आए हैं जो नया नहीं है। पहले भी इस वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब हर कुछ महीनों में मामूली संक्रमणों की लहरें आती रहेंगी और लोग ठीक हो जाएंगे, लेकिन यह चिंता का विषय नहीं है।
लोगों में बन गई है सेल्फ इम्युनिटी
दिल्ली एम्स के पूर्व डायरेक्टर डाॅक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार नया वेरिएंट जेएन.1 सामने आया है, यह 2023 में ही रिपोर्ट हुआ था। कोरोना का यह वेरिएंट पूरी दुनिया में अब सबसे डाॅमिनेंट वेरिएंट हो गया है। इसके कुछ म्यूटेशन हुए हैं जिसके कारण यह ज्यादा संक्रमणकारी हो गया है। यह लोगों की बाॅडी की इम्युनिटी को बायपास करके उनको संक्रमित कर रहा है। लेकिन इसके लक्षण हल्के होते हैं। जो अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं, जिन्हें हम पेशेंट विथ को-माॅर्बिडिटी कहते हैं, जिनको डायबिटीज है, हार्ट की दिक्कत है या ऐसी दवाइयों पर हैं जो शरीर की इम्युनिटी कम करती हैं, उनमें ज्यादा गम्भीर संक्रमण होने का खतरा है। इसलिए ऐसे लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
अभी तक जो रिपोर्ट्स सामने आई हैं, उनके मुताबिक वैक्सीन से कुछ हद तक प्रोटेक्शन अब भी है, वहीं पूर्व में कोरोना संक्रमण के कारण ज्यादातर लोगों में इस वायरस के खिलाफ सेल्फ इम्युनिटी भी जनरेट हो चुकी है। चूंकि वायरस खुद को सर्वाइव रखने के लिए लगातार म्यूटेशन करता है और अपना स्वरूप बदलता है, इसलिए बीच-बीच में हमें कोरोना के मामलों में इस तरह की वृद्धि दिखती है। लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है यह धीरे-धीरे फिर कम होने लगेगा।
क्या फिर से वैक्सीन के बूस्टर डोज की है जरूरत?
पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ डाॅ. चंद्रकांत लहरिया का कहना है कि अभी ना तो बूस्टर डोज की जरूरत है और न ही आने वाले समय में इसकी कोई सम्भावना ही दिख रही है। कोरोना नया वायरस नहीं है और भारत की पूरी आबादी किसी न किसी तरह में कोरोना वायरस के सम्पर्क में आ चुकी है। अब तक ज्यादातर वयस्कों को पहले ही वैक्सीन की दो या दो से अधिक डोज दी जा चुकी है ऐसे में अभी बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है।
क्या फिर लगेगा लाॅकडाउन?
लाॅकडाउन को लेकर सोशल मीडिया पर अटकलें तेज हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है कि सरकार लाॅकडाउन लगाने जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार लाॅकडाउन जैसे सख्त कदम तब उठाए जाते हैं जब मृत्यु दर में खतरनाक रूप से वृद्धि हो और हालात नियंत्रण से बाहर हों। वर्तमान में संक्रमण के मामले जरूर बढ़ रहे हैं लेकिन गंभीरता और मृत्यु दर कम है।
बढ़ते कोविड मामले बढ़ाएंगे परेशानी?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना संक्रमण में अचानक आई वृद्धि के संदर्भ में सावधानी बरतने की सलाह दी है, लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है। उनका मानना है कि भारत मजबूत हाइब्रिड इम्युनिटी के साथ स्थिर स्थिति में है जो पिछले संक्रमणों और टीकाकरण के परिणाम स्वरूप प्राप्त हुई है। भारत में कोविड संक्रमण की मामूली वृद्धि वास्तविक स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शा सकती, क्योंकि कई लोग जिनमें श्वसन सम्बंधी लक्षण हैं कोविड परीक्षण नहीं कराते हैं। इसके बावजूद, वायरस के अधिक गम्भीर बीमारी उत्पन्न करने के लिए म्यूटेशन होने का कोई संकेत नहीं है। जब तक वायरस में महत्वपूर्ण विकासात्मक परिवर्तन नहीं होते तब तक संक्रमण के पैटर्न या गम्भीरता में बड़े बदलाव की आशंका नहीं है।
अचानक क्यों बढ़ने लगे कोरोना के मामले?
दक्षिण एशिया में कोविड मामलों में उछाल सम्भवतः जेएन.1 वेरिएंट (ओमिक्राॅन का एक सब-वेरिएंट) के प्रसार के कारण हो रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह वेरिएंट काफी एक्टिव है लेकिन इसे अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिंताजनक के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। इससे संक्रमित होने वाले मरीजों में लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और वह चार दिनों के भीतर ठीक हो जाता है। कुछ सामान्य लक्षणों में बुखार, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, थकान, थकावट इत्यादि शामिल हैं। तमिलनाडु में अप्रैल 2025 में एनबी.1.8.1 की पहचान की गई, जबकि गुजरात में मई में एलएफ .7 के चार मामलों की पुष्टि हुई। इन दोनों को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ‘निगरानी में रखे गए वेरिएंट’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का प्रमुख स्ट्रेन जेएन.1 बना हुआ है जो सभी जांच किए गए सैम्पल्स के 53 फीसदी में पाया गया है। इसके बाद बीए.2 (26) और अन्य ओमिक्राॅन सबलाइनेज के (20 प्रतिशत) आते हैं। एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 जैसे वेरिएंट के सामने आने के बावजूद कोई सबूत नहीं हैं कि ये ज्यादा गम्भीर बीमारी का कारण बन रहे हैं। इनसे संक्रमित होने वाले मरीजों में लक्षण सामान्य हैं।
सरकार का क्या है कहना?
कोरोना के बढ़ते मामलों का संज्ञान केंद्र सरकार ने लिया है। बीते दिनों डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज की अध्यक्षता में नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल, इमरजेंसी मेडिकल रिलीफ डिवीजन, डिजास्टर
मैनेजमेंट सेल, इंडियन काउंसिल फाॅर मेडिकल रिसर्च और केंद्रीय सरकारी अस्पतालों के प्रमुखों की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने पिछले कुछ हफ्तों में कोविड मामलों में वृद्धि के बाद सतर्कता बढ़ा दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस
प्रोग्राम और आईसीएमआर के माध्यम से कोविड सहित सांस सम्बंधी अन्य बीमारियों की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली भी मौजूद है। सरकार स्थिति पर कड़ी निगरानी रखने में सतर्क और सक्रिय है तथा यह सुनिश्चित कर रही है कि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उचित उपाय किए जाएं। सभी नए कोरोना मामलों के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग अनिवार्य हैं। नेशनल पोर्टल पर रोजाना कोरोना के मामले अपडेट हो रहे, आईएलआई और एसआरआई से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग हो रही है। अस्पतालों में जांच बढ़ा दी गई है। अस्पतालों को आॅक्सीजन, वेंटिलेटर और प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। हाई रिस्क वाले ग्रुप के लिए निरंतर वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज कैम्पेन चलाया जा रहा है। लोगों को मास्क लगाने, साफ-सफाई पर ध्यान देने और खांसी, बुखार, सांस लेने में समस्या, थकान, गले में परेशानी सम्बंधित लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराने की सलाह दी गई है।
केंद्र की समीक्षा बैठक और तैयारियां
कोरोना की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, आपातकालीन चिकित्सा राहत, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और अन्य प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञों की एक अहम बैठक स्वास्थ्य सेवा
महानिदेशक की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में हालात का गहन मूल्यांकन किया गया और भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई।
दिल्ली सरकार ने की अपील
राजधानी दिल्ली में भी कोरोना मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। स्थिति को देखते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. पंकज सिंह ने एक वीडियो संदेश जारी कर लोगों से घबराने की बजाय सतर्क रहने की अपील की। साथ ही सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए नई एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें सतर्कता बरतने, भीड़ से बचने और जरूरी सावधानियां अपनाने की अपील की गई है।
राज्यों ने भी दी सलाह
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलग-अलग राज्यों ने लोगों को बचने की सलाह दी गई है और एडवाइजरी जारी की गई है। एडवाइजरी के तहत भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाते समय अधिक सतर्क रहने और मास्क पहनने की सलाह दी। हालांकि मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है। इसके अलावा यात्रा प्रतिबंध या आवाजाही प्रतिबंधित नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अब तक कोविड के जो भी मामले सामने आए हैं, उनमें से किसी में भी गम्भीर लक्षण नहीं दिखे हैं।
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस के मामलों में एक बार फिर लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जिससे स्वास्थ्य विभाग और सरकार की चिंता बढ़ गई है। खासकर दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरु और केरल जैसे महानगरों में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में तेज इजाफा दर्ज किया गया है। मौजूदा हालात में देश के 20 राज्यों में कोविड फैल चुका है और सक्रिय मामलों की संख्या 1 हजार से ज्यादा पहुंच गई है जबकि दर्जनभर लोगों के मौत भी हो गई है।
कब मिला था कोरोना का पहला मरीज?
कोरोना वायरस का पहला केस दुनिया के सामने 31 दिसम्बर 2019 को आया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे 11 मार्च 2020 को महामारी घोषित किया। कोरोना के मामलों की बढ़ोतरी को देखते हुए 24 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में 21 दिनों के पूर्ण लाॅकडाउन की घोषणा की गई थी। इसके बाद लाॅकडाउन को कई फेज में आगे बढ़ाया गया। कोरोना महामारी के दौरान भारत में करीब 68 दिनों तक पूर्ण लाॅकडाउन रहा। करीब 100 से ज्यादा देशों ने भी अपने यहां लाॅकडाउन लगाया। कई देशों ने पूर्ण तो कई ने आंशिक तौर पर लाॅकडाउन लगाया था।