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कटघरे में डोलो-650 निर्माता माइक्रो लैब्स 

कोरोना महामारी के समय से ही चलन में आने वाली दवा डोलो-650 को सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। थोड़ा सा स‍िर दर्द हो या बुखार सबसे ज़्यादा डोलो-650 को ही इस्तेमाल किया जाता है। इस दवा का तेज़ी से मार्केट में चलन और डॉक्टर्स के द्वारा सुझाव को लेकर एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ है।आयकर विभाग ने डोलो-650 निर्माता माइक्रो लैब्स पर “अनैतिक प्रथाओं” को अपनाने और कंपनी द्वारा बनाए गए उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा पेशेवरों और डॉक्टरों को  1 हजार  करोड़ के मुफ्त उपहार वितरित करने का आरोप लगाया है। यह तब आया है जब कर विभाग ने 6 जुलाई को बेंगलुरु स्थित फार्मास्युटिकल समूह पर तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था। तलाशी कार्रवाई में नौ राज्यों में फैले लगभग 36 परिसरों को कवर किया गया था।

 

पिछले तीन साल से भी कम समय में डोलो-650 की खरीदारी करोड़ों से भी अधिक हुई है। भारत में 10 मे से 8 व्यक्ति डोलो का इस्तेमाल छोटी-छोटी बीमारियों में करते हैं। लेकिन इसका चलन इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ा? क्यों ये दवा इतनी जल्दी इतनी प्रचलित हुई? इसके पीछे क्या वजह है? क्या है पूरी कहानी डोलो-650 की जानते हैं।

मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की संस्था फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज कर दावा किया है कि  डोलो 650 में पेरासिटामोल का डोज मरीज की जरूरत से ज्यादा रखा गया है। इस दवा को बनाने वाली कंपनी डॉक्टरों को तरह-तरह के लालच देकर उनसे यही दवा लिखवाती है। दवा की मार्केटिंग के लिए मौजूद कोड को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रही मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और ए एस बोपन्ना की बेंच को बताया कि पेरासिटामोल की 500 मिलीग्राम पद की मात्रा वाली दवाइयों की कीमत को सरकार ने नियंत्रित रखा है। सामान्य रूप से मरीजों की जरूरत भी इतनी मात्रा में ही पेरासिटामोल लेने की होती है। लेकिन डोलो को बनाने वाली कंपनी ने 650 मिलीग्राम मात्रा वाला भी टेबलेट निकाला। ऐसा करने के पीछे उसका मकसद यही था कि दवा की कीमत अधिक रखी जा सके।

क्रोसिन, कालपोल जैसी दूसरी सामान्य दवाएं इसी मात्रा में पेरासिटामोल के साथ उपलब्ध हैं। जिसके कारण इन दवाइयों को भी सरकार द्वारा बैन कर दिया गया है। एसोसिएशन के वकील संजय पारीख ने जजों को बताया कि इस महंगी दवा को पर्चे में लिखवाने के लिए उसने डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा के सामान मुफ्त में दिए हैं या उन्हें महंगी विदेश यात्रा करवाई है। बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, “आप जो कह रहे हैं, वह सुन कर मुझे व्यक्तिगत रूप से भी अच्छा नहीं लग रहा है। पिछले दिनों जब मैं बीमार पड़ा था, तब मुझे भी यही दवा दी गई थी। यह निश्चित रूप से बहुत गंभीर विषय है।” हालांकि, बेंच ने यह भी कहा कि सरकार या संसद को कोई कानून बनाने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। लेकिन मामले में थोड़ी देर की सुनवाई के बाद जजों ने यूनिफॉर्म कोड ऑफ़ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज को कानूनी रूप देने की मांग पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को 10 दिन का समय दे दिया है।

इनकम टैक्स का छापा 

इनकम टैक्‍स ड‍िपार्टमेंट ने प‍िछले द‍िनों बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड के 9 राज्यों में 36 ठ‍िकानों पर छापेमारी के बाद यह दावा किया है। सीबीडीटी की तरफ से एक बयान में बताया गया क‍ि दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के बाद विभाग ने 1.20 करोड़ रुपये की अघोषित नकदी और 1.40 करोड़ रुपये के सोने और हीरे के आभूषण जब्त किए हैं। इतना ही नहीं माइक्रो लैब्स को भेजे गए ई-मेल का कंपनी की तरफ से अभी तक  कोई जवाब नहीं दिया गया। सीबीडीटी ने कहा, ‘तलाशी अभियान के दौरान दस्तावेजों और डिजिटल डाटा के रूप में आपत्तिजनक सबूत मिले हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है। ‘ बोर्ड के अनुसार, ‘सुबूतों से संकेत मिलता है कि ग्रुप ने अपने प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए गलत तरीकों का भी सहारा लिया गया है। इस तरह के मुफ्त उपहारों की रकम 1,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।’

सीबीडीटी ने हालांकि अपने बयान में ग्रुप की पहचान नहीं की है। लेकिन सूत्रों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि यह ग्रुप माइक्रो लैब्स ही है। माइक्रो लैब्स की डोलो-650 टैबलेट की बिक्री में पिछले कुछ सालों में जबरदस्त तेजी आई है। इतना ही नहीं डोलो की बिक्री ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। आंकड़ों के अनुसार कंपनी ने 2020 में कोविड19 के मामले आने के बाद 350 करोड़ टैबलेट बेची हैं और एक साल में 400 करोड़ रुपये कमाया है। उसने यह दवा जरूर ली. कंपनी का कारोबार 50 से ज्यादा देशों में फैला है। कंपनी पहली बार उस समय विवादों के घेरे में आई, जब आयकर विभाग ने 6 जुलाई को 9 राज्यों में स्थित उसके 36 ठिकानों पर छापा मारा।

छापेमारी में नकदी और जेवरात जब्त

सीबीडीटी ने एक बयान में कहा है कि दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के बाद विभाग ने 1.20 करोड़ रुपये की अघोषित नकदी और 1.40 करोड़ रुपये के सोने और हीरे के जेवर जब्त किए हैं। इस संबंध में माइक्रो लैब्स को भेजे गए ई-मेल का कंपनी ने फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है। सीबीडीटी ने कहा, तलाशी अभियान के दौरान दस्तावेजों और डिजिटल डाटा के रूप में पर्याप्त आपत्तिजनक सबूत मिले हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है।

ब्रांड को बढ़ावा देने के लिएगलत तरीका अपनाया

बोर्ड के अनुसार, सबूतों से संकेत मिलता है कि समूह ने अपने उत्पादों/ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए अनैतिक प्रथाओं को अपनाया है। इस तरह के मुफ्त उपहारों की राशि लगभग 1,000करोड़ रुपये होने का अनुमान है। सीबीडीटी ने हालांकि अभी अपने बयान में समूह की पहचान नहीं की है, लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह समूह माइक्रो लैब्स ही है।

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