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उन्नाव रेप ,एक्सिडेंट मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त  

 

उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप एवं एक्सिडेंट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने ताबड़तोड़ सुनवाई करते हुसे मामले से जुड़े सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है।अदालत ने सीबीआई को सड़क हादसे की जांच सात दिन के भीतर करने का आदेश दिया है। हालांकि अदालत ने कहा है कि असाधारण परिस्थितियों में जांच एजेंसी और समय की मांग कर सकती है। साथ ही अदालत ने दुष्कर्म मामले की जांच 45 दिन के भीतर करने को कहा है। इस मामले की रोजाना सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इससे जुड़े सभी केस की सुनवाई एक ही जज करेगा ,इस मामले की रोजाना सुनवाई होगी।

 

शीर्ष अदालत ने सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की यह याचिका खारिज कर दी कि मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित की जाए क्योंकि उन्नाव मामलों की जांच कर रहे अधिकारी दिल्ली से बाहर हैं।चीफ जस्टिस रंजन गोगाई ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल से पूछा था कि जांच करने में कितना समय लगेगा तो उन्होंने एक महीने का समय मांगा था। इस पर सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से एक महीने में नहीं सात दिन में मामले की जांच पूरी करने को कहा।उन्नाव मामला में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बलात्कार, दुर्घटना मामलों की जांच की स्थिति से न्यायालय को अवगत कराया।सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्नाव पीड़िता के पिता के खिलाफ शस्त्र कानून से संबंधित दूसरा मामला फर्जी पाया गया है।

 सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि पहला मामला उन्नाव में लड़की से बलात्कार का है, आरोपपत्र दायर किया गया है सीबीआई ने हाल ही में उनके खिलाफ उन्नाव रेप के पीड़िता के हत्या का केस दर्ज किया है।

अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़िता के परिवार को 25 लाख रुपये अंतरिम मुआवजे के तौर पर देने का निर्देश दिया है। पीड़िता और वकील के परिवार को तत्काल प्रभाव से सीआरपीएफ की सुरक्षा देने का भी आदेश दिया गया है। अदालत ने कहा कि पीड़िता और वकील के परिजन चाहें तो उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के एम्स अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकता है।

इससे पहले मामले पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने सीबाआई के जिम्मेदार अधिकारी को  अदालत में पेश होने के लिए कहा था। इस आदेश के बाद सीबीआई के संयुक्त निदेशक संपत मीणा अदालत में पेश हुए जिससे पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत को लेकर सख्त सवाल पूछे गए। उनसे पूछा गया कि 28 जुलाई को सड़क हादसे का शिकार हुई पीड़िता का अब स्वास्थ्य कैसा है और क्या उसे दिल्ली स्थानांतरित किया जा सकता है। अदालत ने पीड़िता और उसके वकील की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। साथ ही एम्स से पूछा कि क्या पीड़िता और उसके वकील को एयरलिफ्ट करके दिल्ली लाया जा सकता है?इसके अलावा अदालत ने कहा कि पीड़िता, उसके वकील, पीड़िता की मां, पीड़िता के चार भाई-बहनों, उसके चाचा और परिवार के सदस्यों को उन्नाव के गांव में तत्काल प्रभाव से सीआरपीएफ की सुरक्षा और संरक्षण देने का आदेश दिया  हैं।
सीजेआई को लिखा उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता का पत्र देरी से मिलने पर उच्चतम न्यायालय ने नाराजगी जताई की थी। सीजेआई रंजन गोगोई की पीठ ने कल  मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल से रिपोर्ट भी मांगी कि आखिर पत्र को हम तक पहुंचने में देरी क्यों हुई? जस्टिस गोगोई ने रजिस्ट्रार से पूछा कि 12 जुलाई को लिखी गई चिट्ठी 30 जुलाई   तक उनके सामने क्यों पेश नहीं की गई?

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