अविवाहित महिला जिसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 के तहत गर्भपात कराने पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अहम फैसला दिया है कि अविवाहित महिलाओं को 24 हफ्तों के भीतर गर्भपात कराने की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (एम्स) को मेडिकल बोर्ड गठन करने का आदेश दिया कि वह अविवाहित महिला की जांच कर
गर्भपात कराने से महिला के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े और अगर गर्भपात से महिला के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव पड़ता है तो गर्भपात नहीं किया जाए । साथ ही उस महिला को वो सारी सुविधाएँ दी जाएं जो गर्भपात के दौरान एक विवाहित महिला को दी जाती है । केवल इस आधार पर की महिला अविवाहित है किसी को भी इन सुविधाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता है।
क्या है मामला
कुछ दिन पहले हाई कोर्ट के सामने एक मामला आया था जिसमें 23 सप्ताह और 5 दिनों की एक 25 वर्षीय अविवाहित गर्भवती महिला ने अपना गर्भपात करने की अनुमति मांगी थी। महिला ने बताया की वह अपने माता -पिता की सबसे बड़ी संतान है और मणिपुर की है। फिलहाल वह दिल्ली लिव इन रेलशनशिप में रहती थी । रेलशनशिप के दौरान अपनी सहमति से संबंध बनाये लेकिन महिला के गर्भवती हो जाने के बाद लड़के ने शादी करने से इंकार कर दिया लेकिन हाई कोर्ट ने इसपर अपना फैसला सुनाते कहा कि अविवाहित महिला का गर्भपात मेडिकल गर्भपात नियम 2003 के तहत नहीं आता है और महिला की मांग को ख़ारिज कर दिया था। जिसके बाद महिला अपनी मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट गई जहाँ उसे गर्भपात की अनुमति मिल गई है ।
भारत में गर्भपात के लिए क्या है कानून
गर्भपात के लिए एक कानून ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट’ देश में पहले से ही लागू है। जिसे वर्ष 1971 के में लागू किया गया। जिसके अनुसार विवाहित महिलाएं 20 सप्ताह के गर्भ तक का ही गर्भपात करा सकती हैं लेकिन इसकी कोई ठोस वजह होनी चाहिए। इस प्रकार के केस में केवल एक डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता जरूरी थी । लेकिन अगर गर्भपात कराने में 20 सप्ताह से देरी हो जाती है तो गर्भपात के लिए महिला को क़ानूनी रूप से मंजूरी प्राप्त करनी होगी। वर्ष 2021 में इस कानून में संसोधन किया गया जिसके तहत विवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह तक दो डॉक्टरों की सलाह व जांच के बाद गर्भपात करने की मंजूरी दे दी गई थी । लेकिन यह कानून केवल उन्हीं महिलाओं के लिए है जिनके साथ बलात्कार हुआ हो, या कोई अन्य पारिवारिक समस्या हो तभी वह अपना अनचाहा गर्भ गिरा सकती हैं। यह कानून पहले अविवाहित लड़कियों के लिए नहीं था उनके लिए किसी भी प्रकार से गर्भपात का कानून नहीं बनाया गया था जिसे अब लागू कर दिया गया है। हालांकि इस कानून में संसोधन के बाद भी गर्भपात का अंतिम फैसला डॉक्टरों के हवाले छोड़ दिया गया है।