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अमृत महोत्स्व योजना के तहत हजारों कैदी होंगे रिहा 

आजादी की 75वी वर्षगांठ देश में अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।  आजादी का यह समारोह 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगा। इस दौरान केंद्र सरकार की योजना है कि 50 वर्ष से ऊपर की आयु वाले हजारों कैदियों को जल्द ही रिहा कर दिया जायेगा। दोषियों की रिहाई की प्रक्रिया ग्रह मंत्रालय के मुताबिक तीन चरणों में पूरी की जाएगी। अमृत महोत्सव योजना के तहत भारत सरकार कैदियों को स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2022 और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2023 ,रिहा कर देगी। 

सरकार के मुताबिक इस योजना में उन गरीब या निर्धन कैदियों को भी लाभ मिलेगा जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है, लेकिन उन पर लगे जुर्माने की वजह से जेलों में बंद हैं, सरकार द्वारा उन्हें जुर्माने से छूट देकर लाभ पहुँचाया जाएगा । गृह मंत्रालय ने राज्यों  और केन्द्रशासित प्रदेशों को ऐसे कैदियों की रिहाई के संबंध पत्र लिखकर ये सलाह दी है कि वरिष्ठ सिविल अधिकारी और पुलिस अधिकारियों की राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी के द्वारा गहरी जांच के बाद ही कैदियों को रिहा करने पर विचार किया जाना चाहिए। 

 उच्च स्तर के अधिकारियों की समिति सभी कैदियों के रिकॉर्ड का विश्लेषण कर  उन सभी पात्र कैदियों की पहचान करेंगी जो रिहाई योग्य है और आजादी दी जाने वाली निर्धारित शर्तों को पूरा करते हैं। इस प्रक्रिया के बाद ही कैदियों को विशेष छूट योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा। जिन व्यक्तियों ने 18 से 21 वर्ष की कम आयु में अपराध किया है और उनके खिलाफ कोई दूसरा आपराधिक मामला दर्ज नहीं है और  उन्होंने अपनी सजा अवधि का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है, उन्हें भी विशेष छूट देने के लिए सरकार विचार करेगी । 
 
इन कैदियों किया जाएगा रिहा 
 
अमृत महोत्सव के तहत दी जाने वाली कैदियों की रिहाई देश के लिए कोई अनोखी बात नहीं हैं। ये रिहाई प्रत्येक वर्ष  स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के मौके पर दी जाती हैं। 
 ग्रह मंत्रालय के अनुसार 50 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले महिला , ट्रांसजेंडर कैदी ,60 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले पुरुष कैदी और 70 प्रतिशत वाले दिव्यांग कैदी सहित अपनी सजा की आधी सजा पूरी करने वाले बुजुर्ग कैदियों को रिहा किया जायेगा। लेकिन इस योजना में  में वे कैदी नहीं शामिल किए गए हैं जिन्हें मौत की सजा, आजीवन कारावास, बलात्कार, आतंक के आरोप, दहेज हत्या और मनी लॉन्ड्रिंग विस्फोटक अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी ,आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम और अपहरण विरोधी अधिनियम के तहत कैद , भ्रष्टाचार में पाए गए दोषी, दहेज हत्या, जाली नोटों, मानव तस्करी, धन शोधन इत्यादि के चलते सजा सुनाई गई है। जिन कैदियों ने जेल में अपनी सजा अवधि के दौरान अच्छा आचरण बनाए रखा है, वही कैदी इस योजना के अंतर्गत शामिल किए गए जाएंगे  जिन दोषियों ने 18 वर्ष से 21 वर्ष तक की उम्र के दौरान अपराध किया है और उनके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला नहीं है, उन्हें भी विशेष छूट देने पर विचार किया जाएगा।
 
 सुप्रीम कोर्ट ने दिया कैदियों की रिहाई का आदेश 
 
इसी वर्ष फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को लेकर अपना एक अहम फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उत्तर प्रदेश में उन दोषियों की जमानत को मंजूर किया जा सकता हैं , जिसके आपराधिक रिकॉर्ड नहीं हैं.सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया इलाहाबाद हाईकोर्ट उन दोषियों की जमानत पर विचार कर सकता है, जो 10 से 14 साल या उससे अधिक की सजा कारावास में काट चुके हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसा करने से जेलों में कैदियों की भीड़ और अदालतों में लंबित मामले घटेंगे। गौरतलब है कि  इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के सामने अगस्त 2021 तक, ऐसे  मामलों की संख्या 83 हजार से ज्यादा थी जिनमें राज्य की जेलों में 7,214 अपराधी दस सालों की सजा काट चुके हैं और उनके जमानत की अपील लम्बे समय से अदालतों में चल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अदालतें 10 से 14 साल की सजा काट चुके कैदियों को जमानत पर रिहा करने पर भी विचार करें जिनका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड न हो।  उन्हें समुचित जमानत पर रिहा कर समाज का हिस्सा बनने दें  क्योंकि सजा देने का मकसद किसी भी व्यक्ति को सुधारना है। 
 
कारावास में कैदियों की भरमार
 
कैदियों की संख्या में वृद्धि होने के कारण देश की जेलों में कैदियों की भरमार हो गई है। साल 2020 के एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक कारागारों में कैदियों को रखने की क्षमता 4.03 लाख हैं लेकिन यहां  लगभग 4.78 लाख कैदी हैं। इनमें से तकरीबन एक लाख महिलाएं हैं। सरकार की इस योजना से आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे  कैदियों को राहत मिलने के साथ -साथ  देश के कारागारों  में कैदियों की संख्या में कमी भी देखी जा सकेगी। गौरतलब हैं कैदियों की रिहाई का फैसला राज्य सरकार करती हैं। बीते महीने जून में उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपनी  जेल नीति में संशोधन किया हैं जिसके तहत 60 वर्ष से कम उम्र वाले कैदियों की रिहाई पहले की जा सकती हैं।  यूपी सरकार के नियम के मुताबिक हत्या जैसे अपराध में  आजीवन सजा पाने वाले कैदी की रिहाई पर तभी विचार किया जायेगा जब उसने बिना किसी छूट के 16 साल जेल की सजा या  पैरोल के साथ 20 साल की जेल की सजा पूरी कर ली हों।  लेकिन उन कैदियों को इससे दूर रखा गया है जिन्हे  सीबीआई ,एनआईए  जैसे केंद्रीय जांच एजेंसियों की अदालतों में सजा मिली हैं। राज्य के जेलों में  कैदियों की संख्या लगभग  1.14 लाख है लेकिन जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता मात्र 70.000 हैं। इन कैदियों में लगभग 30000 सजायाफ्ता (दंडित ) कैदी हैं जिनमें से  12000 कैदी आजीवन कारावास की सजा काट रहें हैं। इससे पहले 2018  में आजीवन  कारावास काट रहे कैदियों के लिए समय से पहले रिहाई की नीति तैयार की गई थी लेकिन उसमे आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई थी। 

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