वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ ऐसे बड़े फैसले लिए हैं जो सीधे मुस्लिम समुदाय से जुड़े हैं। इन फैसलों ने व्यापक बहस को जन्म दिया। वहीं अब वक्फ संशोधन विधेयक संसद से पास कराकर नई बहस छेड़ दी है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वक्फ बोर्ड में ऐसा क्या संशोधन किया गया है जिससे हंगामा बरपा है। जानकारों का कहना है कि सरकार जिस वक्फ के जरिए बदलाव कर रही है वह केवल बक्फ बोर्ड को ही नहीं, बल्कि देश की मुस्लिम वोट बैंक की सियासत और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर होती आ रही राजनीति को भी बदलने वाला है
देश में इन दिनों एक ओर जहां बिहार चुनाव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में वक्फ बिल में संसोधन को लेकर सियासत चरम पर है। तमाम विरोध-प्रदर्शनों के बीच केंद्र की एनडीए सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल सदन से पास करा लिया है। इससे पहले संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त 2024 को ये बिल लोकसभा में पेश किया था जिसे विपक्ष के हंगामे के बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था। संसदीय समिति में कुल 44 संशोधन पेश किए जिसमें करीब 14 संशोधन जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली जेपीसी ने स्वीकार कर किए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यह दावा कर रही है कि दुनिया में जितनी भी वक्फ सम्पत्ति है उसमें सबसे ज्यादा सम्पत्ति भारत में है बावजूद इसके भारत का मुसलमान पिछड़ा और अल्पशिक्षित है। पिछड़े मुसलमानों को उनका हक दिलाने और वक्फ का सही इस्तेमाल हो इसकी व्यवस्था के लिए वक्फ संशोधन विधेयक लाया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरन रिजीजू ने लोकसभा में कहा है कि 1995 में यूपीए सरकार ने वक्फ अधिनियम के जरिये इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था। यही वजह है कि इसमें नये संशोधनों की जरूरत पड़ी। सरकार किसी भी सूरत में धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का इरादा नहीं रखती है और उसका इससे कोई लेना-देना भी नहीं है। बस सरकार यह चाहती है कि वक्फ बोर्ड मनमानी ना करे। लेकिन मुस्लिम समाज और सरकार के विरोधी यह कह रहे हैं कि सरकार की नीयत में खोट है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वक्फ बोर्ड में सरकार ने ऐसा क्या संशोधन किया है जिससे हंगामा बरपा है? क्या है वक्फ संशोधन अधिनियम 2024? क्या बिहार चुनाव में वक्फ बिल बड़ा मुद्दा बनेगा? इसका नफा नुकसान किसे होगा? नए वक्फ बिल में क्या है? इस संशोधन बाद क्या-क्या बदलाव होंगे?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कुछ महीने पहले तक हिंदुओं को छोड़िए मुसलमान तक को वक्फ बोर्ड के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था। बीजेपी की शायद रणनीति ही यही है कि इस बिल पर इतना विवाद बढ़े कि देश के आम लोग भी जान सकें कि वक्फ बोर्ड किस तरह के फैसले करता है। एक आम हिंदू को जब यह खबर मिलती है कि महाकुम्भ की जगह, संसद और राष्ट्रपति भवन, एक हजार साल पुराने मंदिरों तक को वक्फ बोर्ड अपनी सम्पत्ति घोषित कर दे रहा है तो उसे समझ में आता है कि ये तो गलत हो रहा है। विपक्ष के विरोध के चलते बीजेपी को बहाना मिल गया है कि वो आम लोगों को बताए कि वक्फ बिल किसी सम्पत्ति को जब अपनी सम्पत्ति घोषित कर देती है तो आपके पास कोई अधिकार नहीं होता कि आप हाईकोर्ट का भी सहारा ले सकें। इससे स्पष्ट है कि आगामी चुनाव में खासकर बिहार और बंगाल में मुस्लिम समुदाय की आबादी अधिक है तो वक्फ बोर्ड बिल पर जितनी बातें होंगी उतना ही बीजेपी को फायदा होगा। दूसरी तरफ वक्फ बिल के नाम पर विपक्ष जमकर केंद्र सरकार पर हमले कर रहा है। विपक्ष जिस तरह वक्फ बिल के खिलाफ माहौल बना रहा है उसका केवल एक ही मकसद है बिल के खिलाफ अनर्गल प्रचार-प्रसार कर मुस्लिम समुदाय को भटकाने की कोशिश।
बीजेपी और आरएसएस के लोग मानसिक बीमारी का शिकार हैं। इन्हें मुसलमानों को परेशान करने में आनंद आता है। जिस तरह से साइको किलर होते हैं उनका कोई मकसद नहीं होता हत्या करने का, लेकिन उन्हें हत्या करने में आनंद आता है। ऐसा ही कुछ आनंद बीजेपी और आरएसएस के लोगों को आता है। यह उछल-कूद करते रहते हैं और इसमें इन्हें मुसलमानों को परेशान करने में आनंद आता है। यह जो बिल पास हो रहा है यह मुसलमानों के खिलाफ है और मानवधिकारों का उलंघन है।
राजकुमार भाटी, राष्ट्रीय प्रवक्ता समाजवादी पार्टी
भाजपा इसका फायदा उठाना चाहती है। धर्मनिरपेक्षता की राजनीति ये वो शब्द है जो 90 के दशक की सियासत में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की तरफ से गढ़ा जाता था। जहां बीजेपी को सांप्रदायिक बताकर विरोधी धर्मनिरपेक्षता का दावा करके एकजुट हो जाता था और तब बीजेपी सत्ता में रहते हुए भी विरोधियों की राजनीति के आगे बड़े फैसले लेने में हिचकिचाती थी। लेकिन 21 वीं सदी में मोदी माॅडल की सियासत अलग है। सरकार जिस वक्फ बिल के जरिए बदलाव ला रही है वो केवल वक्फ बोर्ड को ही नहीं बदलने वाला है, बल्कि देश की मुस्लिम वोट की सियासत और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर होती राजनीति को भी बदलने वाला है।
क्या हुआ बदलाव?
अब वक्फ बोर्डों की संरचना में भी बदलाव देखने को मिलेगा। गैर-मुस्लिमों को बोर्ड के सदस्यों के रूप में शामिल करना अनिवार्य हो जाएगा। यह कानून लागू होने के छह महीने के भीतर हर वक्फ सम्पत्ति को केंद्रीय डेटाबेस पर पंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है। संशोधन विधेयक के मुताबिक, अब दान में मिली सम्पत्ति ही बक्फ की होगी। जमीन पर दावा करने वाला अपील कर सकेगा। ट्रिब्यूनल, रेवेन्यू कोर्ट में अपील कर सकेगा। सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील हो सकेगी। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी जा सकेगी। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति उसी जमीन को दान में दे पाएगा जो उसके नाम पर रजिस्टर्ड होगी। वक्फ-अल-औलाद के तहत महिलाओं को भी वक्फ की जमीन में उत्तराधिकारी माना जाएगा। इसका मतलब ये है कि जिस परिवार ने वक्फ की जमीन वक्फ-अल- औलाद के लिए दान में दी है उस जमीन से होने वाली आमदनी सिर्फ उन परिवारों के पुरुषों को नहीं मिलेगी, बल्कि इसमें महिलाओं का भी हिस्सा होगा। वक्फ को दी गई जमीन का पूरा ब्यौरा आॅनलाइन पोर्टल पर 8 महीने के अंदर अपलोड करना होगा।
बड़ा बदलाव ये भी है कि जिन सरकारी सम्पत्तियों पर वक्फ अपना अधिकार बताता है उन सम्पत्तियों को पहले दिन से ही वक्फ की सम्पत्ति नहीं माना जाएगा। अगर ये दावा किया जाता है कि कोई सरकारी सम्पत्ति वक्फ की है तो ऐसी स्थिति में राज्य सरकार एक नामित अधिकारी से जांच कराएगी और ये कलेक्टर रैंक से ऊपर का अधिकारी होगा। अगर इस रिपोर्ट में वक्फ का दावा गलत निकलता है तो सरकारी सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा रेवन्यू रिकाॅर्ड में दर्ज किया जाएगा और ये सरकारी सम्पत्ति वक्फ की नहीं मानी जाएगी, ये नियम उन सरकारी सम्पत्तियों पर भी लागू होगा, जिन पर पहले से वक्फ का दावा और कब्जा है। कोई अन्य सम्पत्ति या जमीन वक्फ की है या नहीं, इसकी जांच कराने के लिए राज्य सरकार को जरूरी अधिकार दिए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव ये आएगा कि वक्फ बिना किसी दस्तावेज और सर्वे के किसी जमीन को अपना बताकर उस पर कब्जा नहीं कर सकेगा।
वक्फ बोर्ड में नियुक्त किए गए सांसद और पूर्व जजों का भी मुस्लिम होना जरूरी नहीं होगा। सरकार का कहना है कि इससे वक्फ में पिछड़े और गरीब मुसलमानों को भी जगह मिलेगी और वक्फ में मुस्लिम महिलाओं की भी हिस्सेदारी होगी। राज्यों के वक्फ बोर्ड में भी दो मुस्लिम महिलाएं और दो गैर-मुस्लिम सदस्य जरूर होंगे और शिया-सुन्नी, पिछड़े मुसलमानों से भी एक-एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा। इनमें बोहरा और आगाखानी समुदायों से भी एक-एक सदस्य होना चाहिए।
वक्फ में सरकार ने क्यों किया संशोधन?
वक्फ एक्ट 1995 में प्रस्तावित संशोधन का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता लाना और उनका मैनेजमेंट ज्यादा प्रभावी बनाना है। वर्तमान में वक्फ बोर्ड के ज्यादातर सदस्य चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं, लेकिन नए बिल के तहत यह बोर्ड के सदस्य सरकारी नामांकित होंगे। इसके अलावा वक्फ सम्पत्तियों का पंजीकरण और सही मूल्यांकन करना अनिवार्य होगा ताकि सम्पत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन हो सके। सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता बढ़ाने और सम्पत्तियों का बेहतर प्रबंधन कर ने के लिए यह संशोधन जरूरी है।
नए वक्फ बिल में क्या है?
मौजूदा सरकार अपने सहयोगी दलों की मांग को स्वीकार करते हुए नए बिल में कई परिवर्तन किए हैं, जैसे पांच वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाला ही वक्फ को अपनी सम्पत्ति दान कर सकेगा। दान की जाने वाली सम्पत्ति से जुड़ा कोई विवाद होने पर उसकी जांच के बाद ही अंतिम फैसला होगा। इसके साथ ही पुराने कानून की धारा 11 में संशोधन को भी स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्य चाहे वह मुस्लिम हों या गैर मुस्लिम उसे गैर मुस्लिम सदस्यों की गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ यह कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है।
क्या है सेक्शन 40
‘वक्फ संशोधन बिल 2024’ में सबसे बड़ा बदलाव है सेक्शन 40 को खत्म करना है। ये सेक्शन ही इस बोर्ड को किसी भी भूमि को वक्फ सम्पत्ति में बदलने की अनुमति देता था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बहस के दौरान इसे वक्फ अधिनियम का सबसे कठोर प्रावधान बताया है। ‘संशोधन के तहत हमने उस प्रावधान को हटा दिया है। यह सेक्शन वक्फ बोर्ड को एक तरह से स्वतंत्रता देता था कि वह बिना किसी बाहरी दबाव के यह तय कर सके कि कोई सम्पत्ति वक्फ सम्पत्ति है या नहीं।’ साथ ही अगर कोई अन्य ट्रस्ट या सोसाइटी की सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति के रूप में पंजीकरण कराने की आवश्यकता होती तो बोर्ड उसे ऐसा करने का निर्देश दे सकता था। अब वक्फ संशोधन बिल में इस सेक्शन को हटाने से वक्फ बोर्ड की ताकत और स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्ष का कहना है कि इस बदलाव से वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी और सरकार को वक्फ सम्पत्तियों के मामलों में ज्यादा नियंत्रण मिलेगा। अब यह देखना होगा कि इसका वक्फ बोर्ड पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
क्या कहती है सरकार
केंद्र सरकार का कहना है कि 2006 की जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर ही एक्ट में बदलाव किए हैं। इस बिल का मकसद धार्मिक संस्थाओं के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है। बिल मुस्लिम महिलाओं और पिछड़े मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में हिस्सेदारी देने के लिए लाया गया है। इसमें वक्फ प्राॅपर्टीज के विवाद 6 महीने के भीतर निपटाने का प्रावधान है। जिससे भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का हल निकलेगा।’
मुसलमानों के जीवन में क्या होगा परिवर्तन
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरण रिजिजू का दावा है कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन लेकर आएगा। रिजिजू यह दावा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि विश्व में सबसे ज्यादा वक्फ प्राॅपर्टी भारत में है। लगभग 9.4 लाख एकड़ जमीन है और 8.72 लाख सम्पत्ति है, जिनसे कमाई 200 करोड़ है। सरकार वक्फ प्राॅपर्टी का सही इस्तेमाल कर उनका उपयोग गरीब मुसलमानों के लिए करना चाहती है। पसमांदा मुसलमानों का जीवन स्तर सुधरेगा और महिलाओं और बच्चों को फायदा मिलेगा। हालांकि वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले यह कह रहे हैं कि यह बिल मुसलमानों को नियंत्रित करने और उनका हक मारने के लिए लाया गया है।
वक्फ में एक भी गैर मुस्लिम नहीं शामिल होगा : शाह
लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा वक्फ में धार्मिक क्रियाकलाप चलाने के लिए गैर मुस्लिम को नहीं रखा जा रहा है। लेकिन विपक्ष इसके जरिए डराकर अपना वोट बैंक सुरक्षित करने का काम कर रहा है। वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम रखने की बात है जिसका काम ये देखना है कि काम ठीक से हो रहा है या नहीं। इस सदन के माध्यम से पूरे देश के मुस्लिम भाइयों को कहना चाहता हूं कि आपके वक्फ में एक भी गैर मुस्लिम नहीं शामिल होगा। वक्फ बोर्ड में जो सम्पत्तियां बेच खाने वाले, सौ-सौ साल के लिए औने-पौने दाम पर किराए पर देने वाले लोग है, वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद उन्हें पकड़ने का काम करेगा। ये चाहते हैं कि इनके राज में जो मिलीभगत चलती थी वह चलती रहे। अब ये नहीं चलेगा। 2013 का जो संशोधन आया, वो नहीं आया होता तो आज ये संशोधन लाने की नौबत नहीं आती। कांग्रेस सरकार ने दिल्ली लूटियंस की 125 सम्पत्तियां वक्फ को दे दीं। उत्तर रेलवे की जमीन वक्फ को दे दी। हिमाचल में वक्फ की जमीन बताकर मस्जिद बनाने का काम हुआ।