दबंग विधायक की निकली हेकड़ी
धारचूला के विधायक हरीश धामी न्यायालय के आदेशों को धता बताकर खुलेआम घूमते रहे। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने का साहस नहीं कर पाई। लेकिन जब दबंग विधायक को लगा कि अब उनकी हेकड़ी ज्यादा नहीं चलने वाली है तो उनके पसीने छूट गए। गिरफ्तारी और संपत्ति की कुर्की से बचने के लिए उन्हें हाईकोर्ट की शरण में जाने को विवश होना पड़ा। हाईकोर्ट ने उन्हें २० मई तक की मोहलत देकर निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है
देवभूमि उत्तराखण्ड में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक हरीश धामी कभी सीमावर्ती इलाके के लोगों को चीन में शामिल कराने की बात कह सनसनी फैलाने तो कभी मुख्यमंत्री को पिथौरागढ़ की सीमा में न घुसने देने की चेतावनी देकर सुर्खियों में रहे हैं। अपने बाहुबल के लिए चर्चित ये विधायक हाल में न्यायालय के आदेशों को धता बताने को लेकर चर्चा में रहे। न्यायालय से उनकी गिरफ्तारी के गैर जमानती वारंट और संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी होने के बावजूद वे बेरोक-टोक घूमते रहे। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने का साहस नहीं जुटा पाई। जब गिरफ्तारी का दबाव बढ़ा तो वे नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में गए और वहां से उन्हें कुछ राहत मिली।
पिथौरागढ़ जिले की धारचूला विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक हरीश धामी उत्तराखण्ड की राजनीति में केंद्रीय मंत्री हरीश रावत के खास माने जाते हैं। उनका नाम खनन और शराब के अवैध धंधों में भी उछाला जाता रहा है। पिछले दिनों जौलीजीवी मेले के उद्द्घाटन से पूर्व धामी ने एक कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के समक्ष यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि लोग उन्हें कीड़ा जड़ी यारसागंबू का तस्कर बताते हैं। उन्होंने यह बात उस समय कही जब प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उन्हें हैलीकॉप्टर के जरिए दिल्ली बुलाया था। तब यह चर्चा जोर-शोर से उठी थी कि जिस हैलीकॉप्टर से धामी दिल्ली गये उसमें प्रतिबंधित कीड़ा जड़ी भी ले जाई गई थी।
वर्ष २००२ में मदकोट के देशी शराब के ठेके पर दूसरे नंबर के सेल्समैन रहे धामी आज करोड़ों के मालिक बन बैठे हैं। अगर उनकी नामी और बेनामी संपत्ति का ब्यौरा लिया जाय तो कई चौंकाने वाली बातें समाने आएंगी। उनकी दबंगई के बारे में बताया जाता है कि वर्ष २००८ में मुन्स्यारी ब्लॉक के प्रमुख पद के चुनाव में उन पर अपनी पत्नी दीपा धामी को जितवाने के लिए बीडीसी सदस्यों के अपहरण के आरोप लगे थे। कई दिन तक जबरन कुमाऊं मंडल विकास निगम के एक गेस्ट हाउस में रखा था। हालांकि इतना सब कुछ करने के बावजूद इस चुनाव में उनकी पत्नी दीपा धामी को पार्वती धामी से हार का सामना करना पड़ा था।
न्यायालय ने जिस मामले में धामी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये वह छह साल पुराना है। तब वह मुन्स्यारी-मदकोट से जिला पंचायत सदस्य थे। बताया जाता है कि वर्ष २००७ में धामी जौहार क्लब की एक खेल प्रतियोगिता के दौरान अपनी दबंगई पर उतर आये थे। प्रतियोगिता में खिलाड़ियों में जीत-हार को लेकर मामूली कहा-सुनी हुई थी। जिसमें धामी ने अपने दर्जनों समर्थकों के साथ खिलाड़ियों और पुलिस पर धावा बोल दिया था। इसके चलते उन पर मुन्स्यारी थाने में भारतीय दंड सहिता की धारा १४७ १४८ १४९ ३२३ ५०४ ५०६ और ४२७ के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया था। न्यायिक मजिस्टे्रट डीडीहाट के न्यायालय में वाद संख्या ८५३ २००७ के अंतर्गत सरकार बनाम हरीश धामी के यह मामला पिछले छह साल से चल रहा है। न्यायालय में लगातार अनुपस्थित रहने के कारण धामी के खिलाफ बतौर अभियुक्त ८ नवम्बर २०१२ को न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किया। नवंबर से लेकर मार्च तक पूरे पांच माह पुलिस-प्रशासन की सांठ गांठ के चलते न्यायालय के गैर जमानती वारंट से बचते रहे विधायक के खिलाफ २३ मार्च २०१३ को न्यायिक मजिस्ट्रट डीडीहाट ने दूसरा वारंट जारी करते हुए उनकी संपत्ति की कुर्की के आदेश जारी किये। न्यायालय ने हरीश धामी के विरुद्ध गैर जमानती वारंट नोटिस जारी करने के साथ ही उन्हें धारा-८३ के तहत फरार घोषित किया। जबकि हुए निकाय चुनाव में भी उन्हें घूमते हुए देखा गया।
यही नहीं निकाय चुनावों में धारा १४४ लगी हुई थी। इस दौरान धामी पुलिस सुरक्षा में घूमते रहे। इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही और सरकारी बैठकों में भी भाग लिया। १० मार्च को अपने विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आयोजित एक शिवरात्रि महोत्सव में विधायक धामी शामिल हुए। वहां प्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। लेकिन गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद धामी पर पुलिस की नजर नहीं पड़ी।
चौंकाने वाली बात यह है कि आम आदमी के मामले में कुर्की के आदेश होने के एक-दो दिन बाद ही जो पुलिस न्यायालय के आदेशों का पालन करने में तत्पर रहती है वह विधायक धामी की संपत्ति के कुर्की के आदेश जारी होने के डेढ़ माह बाद भी हरकत में नहीं आ पाई। इस पर बीते २३ मार्च को डीडीहाट के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस को लताड़ते हुए विधायक के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश दिए। लेकिन पुलिस और प्रशासन की विधायक के प्रति दरियादिली किसी से छिपी नहीं है। इस बाबत भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले की पिथौरागढ़ जिला कमेटी ने विधायक और पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर उनका पुतला दहन किया। भाकपा (माले के पिथौरागढ़ जिला सचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार जगत मर्तोलिया ने इस बाबत प्रदेश सरकार की द्घेराबंदी करते हुए अभियुक्त विधायक को संरक्षण देने का आरोप लगाया। मर्तोलिया के अनुसार विधायक हरीश धामी की दबंगई के कई ऐसे मामले हैं जिनमें दबाव बनाकर समझौता करा लिया गया। ऐसा ही एक मामला मुन्स्यारी वर्ष २००६ को तत्कालीन नारायण दत्त तिवारी सरकार के कार्यकाल में सामने आया था। वहां उपजिलाधिकारी अभिनव गिरी गोस्वामी ने धामी का बजरी से भरा ट्रक सीज करा दिया था। तब भी धामी ने अपने बाहुबलीपन और सत्ता में रसूख के द्घमंड में न केवल उपजिलाधिकारी के साथ बदतमीजी की थी बल्कि मामले को रफा-दफा करवा दिया था। इसी तरह मदकोट के एक पत्रकार ने जब विधायक और उनके कारिंदों के खिलाफ समाचार प्रकाशित किया तो पत्रकार को न केवल प्रताड़ित किया गया बल्कि उसे ५ दिन में शहर छोड़ने का फरमान भी जारी कर दिया था। इस प्रकरण में मामला भी दर्ज हुआ था। लेकिन धामी ने मामले को समझौते के तहत समाप्त करा दिया।
हाईकोर्ट से २० मई तक की मोहलत मिलने पर धामी राहत महसूस कर रहे हैं। अब वे खुलकर सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने इस मामले में भी उन्हें अलग-थलग कर दिया। गौरतलब है कि धामी पहले भी सरकार विरोधी तेवर दिखाते रहे हैं। मामले से निपटने के बाद उनके तेवर उग्र हो सकते हैं।
बात अपनी-अपनी
यह मामला कोर्ट का है। हरीश धामी इसे कोर्ट में निपटेंगे। धामी पर जो आरोप लगाए गए हैं वे सब राजनीति से प्रेरित हैं। इसलिए पिथौरागढ़ में धरने-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। धामी पर २००७ में जब यह मामला दर्ज किया गया तब वह जनता के सवाल को लेकर लड़ रहा था। कांग्रेस के लिए धामी की काफी अहमियत है। क्योंकि वहां उसी ने पार्टी में जान फूंकी है। कांग्रेस के लिए वही लड़ता है। रही बात नेताओं पर मामले दर्ज होने की तो दिल्ली में ऐसे कई नेता हैं जिन पर १०-१५ सालों से कई मामले चल रहे हैं। धामी का मुन्स्यारी में जो झगड़ा हुआ था वह उसका व्यक्तिगत नहीं था। जनता उसे अपराधी नहीं मानती। जनता ही क्या पुलिस भी धामी को अपराधी नहीं मानती है तभी तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया।
हरीश रावत केन्द्रीय मंत्री
सरकार को यह मामला संज्ञान में लेना चाहिए। पुलिस का काम अभियुक्तों को गिरफ्तार करना है। वह चाहे कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो बहरहाल यह कोर्ट का मामला है। मैं इसमें ज्यादा कुछ नहीं कह पाऊंगा।
तीरथ रावत प्रदेश अध्यक्ष भाजपा
२००७ में मुन्स्यारी में एक खेल के दौरान हुए झगड़े में मैंने दोनों गुटों में समझौता करा दिया था। यह समझौता एक गुट को नागवार गुजरा था। उस गुट के लोगों ने साजिश के तहत मेरे खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी। मैं न्यायालय में इस वजह से उपस्थित नहीं हो सका कि मेरी व्यस्तता अधिक बढ़ गई थी।
हरीश धामी विधायक धारचूला
इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा होता है। अगर वास्तव में ही पुलिस निष्पक्षता के साथ काम करे तो उसे आम आदमी और विधायक में फर्क नहीं करना चाहिए। पुलिस को चाहिए कि वह विधायक के आगे-पीछे घूमने की बजाय तुरंत एक्शन ले।
काशी सिंह ऐरी पूर्व विधायक
हम इस मामले के लिए ही डीडीहाट जा रहे हैं। मैं फिलहाल कुछ नहीं कह सकूंगा। विधायक अभी हमारे हाथ नहीं लग रहे हैं।
विजय सिंह कार्की पुलिस अधीक्षक पिथौरागढ़
हमने विधायक वाले मामले में काफी प्रयास किए लेकिन वह टे्रस नहीं हो पाए। अब हम कोर्ट के तीसरे नॉन बेलेबल वारंट के इंतजार में हैं। डीडीहाट न्यायालय के बाहर पुलिस पहरा दे रही है। यहां विधायक कोर्ट में पेश होने के लिए आ सकते हैं।
राजीव मोहन पुलिस क्षेत्राधिकारी डीडीहाट
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